1857 की क्रांति
1857 की क्रांति
1857 ईसा पूर्व का विद्रोह के कारण-
1857 ईसा पूर्व के विद्रोह को
मात्र तत्कालीन कारणों के अंतर्गत ना देखकर व्यापक व्यापक परीक्षित में देखे जाने
की आवश्यकता है
विद्रोह को जन्म देने वाले कारणों में राजनीतिक सामाजिक आर्थिक एवं धार्मिक सभी जिम्मेदार हैं 1857 का विद्रोह सिपाहियों के असंतोष का परिणाम मात्र नहीं था
वास्तव में उपनिवेश शासन के चरित्र नीतियों और उसके कारण कंपनी के शासन के प्रति जनता में जनता में संचित असंतोष तथा विदेशी शासन के प्रति उनकी घृणा का परिणाम था इस विद्रोह के प्रमुख कारण निम्नलिखित है
विद्रोह को जन्म देने वाले कारणों में राजनीतिक सामाजिक आर्थिक एवं धार्मिक सभी जिम्मेदार हैं 1857 का विद्रोह सिपाहियों के असंतोष का परिणाम मात्र नहीं था
वास्तव में उपनिवेश शासन के चरित्र नीतियों और उसके कारण कंपनी के शासन के प्रति जनता में जनता में संचित असंतोष तथा विदेशी शासन के प्रति उनकी घृणा का परिणाम था इस विद्रोह के प्रमुख कारण निम्नलिखित है
राजनीतिक कारण
प्रारंभ से ही कंपनी ने
देसी भारतीय राज्यों पर अपना प्रभाव स्थापित करने का प्रयत्न किया वेलेजली की
सहायक संधि किस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास था
इसके अंतर्गत भारतीय राजाओं को विदेश संबंध कंपनी के अधीन रखने पड़ते थे और अपनी राजधानियों में एक रेजिडेंट रखना होता था
रेजिडेंट आने राज्यों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया जिससे कंपनी तथा राज्य के संबंध बिगड़े गए
1849 ईसा पूर्व में यह घोषणा की गई कि मुगल सम्राट बहादुर शाह द्वितीय जहर की मृत्यु के बाद उसके वंशजों को लाल किला खाली करना पड़ेगा
मुगल बादशाह को अपमानित करने के लिए उन्हें नजर देना सिक्कों पर नाम खुद माना आदि परंपरा को डलहौजी ने बंद करवा दिया साथ ही बादशाह को लाल किला छोड़कर कुतुबमीनार में रहने का आदेश दिया
इसके अंग ने में घोषणा की कि बाशा के अधिकारी सम्राटों के बदले शहज़ादे ओत के रूप में जाने जाएंगे जीते सिद्धांत के तहत मिलाए गए देसी राज्यों एवं 18 से 56 ईसा पूर्व में सुशासन को आधार बनाकर अवध के अधिग्रहण से यहां के शासक वर्ग स्थानीय जनता एवं सिपाहियों की प्रतिष्ठा को गहरा आघात लगा
डलहौजी ने तंजौर और कर्नाटक के जवाबों की राजकीय उपाधियां कर ली उसने जातियों के अधिकारों की जांच के लिए मुंबई में इनाम कमीशन स्थापित किया जिससे ढक्कन में लगभग 20,000 जमीदारों को जगत् कर लिया गया
इसके अंतर्गत भारतीय राजाओं को विदेश संबंध कंपनी के अधीन रखने पड़ते थे और अपनी राजधानियों में एक रेजिडेंट रखना होता था
रेजिडेंट आने राज्यों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया जिससे कंपनी तथा राज्य के संबंध बिगड़े गए
1849 ईसा पूर्व में यह घोषणा की गई कि मुगल सम्राट बहादुर शाह द्वितीय जहर की मृत्यु के बाद उसके वंशजों को लाल किला खाली करना पड़ेगा
मुगल बादशाह को अपमानित करने के लिए उन्हें नजर देना सिक्कों पर नाम खुद माना आदि परंपरा को डलहौजी ने बंद करवा दिया साथ ही बादशाह को लाल किला छोड़कर कुतुबमीनार में रहने का आदेश दिया
इसके अंग ने में घोषणा की कि बाशा के अधिकारी सम्राटों के बदले शहज़ादे ओत के रूप में जाने जाएंगे जीते सिद्धांत के तहत मिलाए गए देसी राज्यों एवं 18 से 56 ईसा पूर्व में सुशासन को आधार बनाकर अवध के अधिग्रहण से यहां के शासक वर्ग स्थानीय जनता एवं सिपाहियों की प्रतिष्ठा को गहरा आघात लगा
डलहौजी ने तंजौर और कर्नाटक के जवाबों की राजकीय उपाधियां कर ली उसने जातियों के अधिकारों की जांच के लिए मुंबई में इनाम कमीशन स्थापित किया जिससे ढक्कन में लगभग 20,000 जमीदारों को जगत् कर लिया गया
आर्थिक कारण-
भारत में कंपनी की सभी नीतियों के मूल में भारत का आर्थिक शोषण कर अपना मुनाफ़ा बढ़ाना था इस प्रकार ईस्ट इंडिया कंपनी एवं भारतीय जन मानस के हितों के मध्य एक स्वभाविक संघर्ष था कंपनी ने आर्थिक शोषण जब बहुत अधिक अगेन कर दिया था विद्रोह के लिए अन्य अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न हो गई जब यह 1857 ईसा पूर्व के विद्रोह का कारण बनी इसका प्रभाव सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ा ग्रामीण क्षेत्र में अंग्रेजी सत्ता के प्रति अंसतोष के लिए कारणों को जो रूप में देख सकते हैं भूमि की उत्पादन क्षमता से अधिक लगान दर एवं भूमि को निजी संपत्ति बनाने से इस पर अधिकार के स्तर की सुविधा 1856 ई.पूर्व के भूमि प्रबंध अधिनियम से अवध के तारों के मस्त अधिकार समाप्त कर दिए गए जमीदारों एवं किसानों को नई व्यवस्था के अनुसार लगान चुकाया पाना असंभव प्रतीत हो रहा था जिसके परिणाम स्वरूप इन की कृषि भूमि पर दी जाती थी भारत से इंग्लैंड को निर्यात होने वाले जहां 27 % लिया जाता था वहीं भारत में आने वाले अंग्रेजी सूची और रेशमा बस्तर पर 3.5% और गर्म कपड़े पर लिया जाता था अंग्रेजों की इस नीति का परिणाम यह हुआ कि इंग्लैंड में भारत का सूची और रेशमा कपड़ा जाना बंद हो गया इसका भारत के कपड़ा उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ा क्षेत्र की नीतियों का कृषि क्षेत्र पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा और कृषि पर भरा बड़ा जिसमें कृषकों को जो लड़ा न चुका पाने की समस्या से पहले से ही
Sar keynotes Parvat karao
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