electrical Transformers ki Puri jankari in hindi


(Basic principle of transformers)
ट्रांसफार्मर  ऐसी स्थितिक मशीन है जो प्रत्यावर्ती धारा के विभव को समान आवृत्ति पर परिवर्तित करने के काम आती है अर्थात ट्रांसफार्मर निम्न बोल्टता वाली प्रबल प्रत्यावर्ती विद्युत धारा को उच्च बोल्ट ताकि निर्मल धारा में अथवा उच्च बोल्ट ताकि निर्मल धारा को निम्न बोल्टता वाली प्रबल विद्युत धारा में दी हुई आवृत्ति के समान आवृत्ति पर स्थानांतरित करता है ट्रांसफार्म का कार्य सिद्धांत स्थैतिक प्रेरण  सिद्धांत पर आधारित है

  एक  ट्रांसफार्मर ऐसे चुंबकीय परिपथ का बना होता है जिसमें दो विशिष्ट कुंडली होती है जिन्हें प्राथमिक बाइंडिंग  तथा सेकेंडरी वाइंडिंग कहते हैं जब प्राथमिक बाइंडिंग प्रत्यावर्ती धारा सप्लाई से जोड़ दिया जाता है तो पटलिट
क्रोड मैं प्रत्यावर्ती फ्लक्स स्थापित होता है  तथा इस फ्लक्स के द्वितीय वाइंडिंग से लिंकिंग होने पर  द्वितीय बाइंडिंग मैं 
एक प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है यह क्रिया दोनों बाइंडिंगओ के बीच प्रेरण के कारण होती है

प्रत्यावर्ती फ्लक्स के कारण प्राथमिक बाइंडिंग में भी स्व प्रेरणा के कारण विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है यदि फ्लक्स दोनों बाइंडिंगओ के प्रत्येक बर्तन से पूर्ण रूप से संबंध होता है तो प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान प्रत्येक क्षण प्रत्येक बर्तन के बिल्कुल एक समान होगा इस प्रकार द्वितीय वाइंडिगो में प्रेरित विद्युत वाहक बल प्राथमिक बाइंडिंग में प्रयुक्त बोल्टता के बिल्कुल विपरीत फेज में होगा बाइंडिंग के प्रतिरोध की उपेक्षित मानते हुए द्वितीयक बाइंडिगो में प्रेरित विद्युत वाहक बल द्वितीयक कुडलन  के बर्तनों की संख्या पर निर्भर करता है जब द्वितीयक बाइंडिंग में बर्तनों की संख्या प्राथमिक बाइंडिंग से अधिक होगी जब द्वितीयक बाइंडिगो मैं प्रेरित विद्युत वाहक बल प्राथमिक बाइंडिगो में प्रयुक्त बोल्टता से अधिक होगा
इस प्रकार जब ट्रांसफार्मर निम्न बोल्टता की उच्च बोल्टता में स्थानांतरित करता है तब वह स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर कहलाता है तथा जब उच्च  बोल्ट ता को निम्न बोल्ट ता में स्थानांतरित करता है तब वह स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर कहलाता है

क्या ट्रांसफार्मर को दिष्ट धारा पर प्रयोग किया जा सकता है

जी हां दोस्तों क्या ट्रांसफार्मर को दिष्ट धारा पर प्रयोग किया जा सकता है
दोस्तों ट्रांसफार्मर को दिष्ट धारा पर प्रयोग नहीं कर सकते हैं क्योंकि ट्रांसफार्मर की प्राथमिक बाइंडिंग की दिष्ट धारा से संबंध कर दिया जाए तो वाइंडिंग में फ्लक्स तो उत्पन्न होगा लेकिन वह बढ़ेगा घटेगा नहीं बल्कि अब परिवर्तनशील रहेगा तथा इसी कारण द्वितीयक बाइंडिंग ओं में कोई विद्युत वाहक बल प्रेरित नहीं होगा सप्लाई का स्वच खोलते समय थोड़ी देर के अलावा इस प्रकार दिष्ट धारा बोल्टता को ट्रांसफार्मर की सहायता से घटाया बढ़ाया नहीं जा सकता है इसके विपरीत ट्रांसफार्मर को दिष्ट धारा बोल्टता से जोड़ने पर क्षति पहुंच सकती है क्योंकि ऐसा करने से ट्रांसफार्मर के प्राथमिक वाइंडिंग में कोई lagging विद्युत वाहक बल प्रेरित नहीं हुआ जिसके कारण प्राथमिक कुंडलन सप्लाई से अधिक मात्रा में धारा लेकर गर्म हो जाएगी तथा प्राथमिक बाइंडिंग जल जाएगी
Types of transformer
संरचना के आधार पर ट्रांसफार्मर मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं
  1. Core type
  2. Shell type
  3. Berry type
1. Core type transformer
Core type transformer मैं  L आकार की पत्तियों को लगाया जाता है तथा कुण्डलन बेलनाकार आकार की होती हैं यधपि कुण्डलन वृत्ताकार अंडाकार तथा आयताकार भी हो सकती हैं इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में एक ही चुंबकीय परिपथ बनता है इसमें को रुको आयताकार रूप में संगठित किया जाता है
2.shell type transformer
Shell टाइप ट्रांसफार्मरों को E आकार की कोर से संगठित करके बनाया जाता है E केंद्रीय पाद को किनारे की पाद से दुगुनी चौड़ाई का बनाया जाता है इसी केंद्रीय पद पर प्राथमिक तथा द्वितीयक कुंडलियों को आपस में अलग करके सैंडविच विधि में रखा या लपेटा जाता है shell प्रारूप transformer दिखाया गया है इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में दो चुंबकीय परिपथ होते हैं क्योंकि इस ट्रांसफार्मर में कोर को सेल के रूप में संगठित किया जाता है इसलिए इसे shell प्रारूपी ट्रांसफार्मर कहते हैं इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में फ्लक्स क्षरण  कम होता है लेकिन ट्रांसफॉर्मर कोर प्रारूपी की अपेक्षा अधिक भारी होती है
3.berry type transformer
इस प्रकार के ट्रांसफॉर्मर मैं क्रोड को इस विधि से संगठित किया जाता है ताकि फ्लक्स प्रवाह के कई रास्ते रहें प्राथमिक तथा द्वितीयक कुण्डलन को बेलनाकार तथा वृत्ताकार रूप में रखा जाता है यह सेल प्रारूपी भी ट्रांसफार्मर का ही एक सुधार हुआ है यह ट्रांसफार्मर अन्य ट्रांसफॉर्मर की तुलना में
  1. सस्ता होता है
  2. आयरन लॉसेस कम होती है
  3. फ्लक्स घनत्व अधिक होता है
  4. आकार छोटा होता है

2 comments:

  1. Puri jankari milegi sir transformer ki

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